What is organic farming?
Organic farming system in India is not new and is being followed from ancient time. It is a method of farming system which primarily aimed at cultivating the land and raising crops in such a way, as to keep the soil alive and in good health by use of organic wastes (crop, animal and farm wastes, aquatic wastes) and other biological materials along with beneficial microbes (biofertilizers) to release nutrients to crops for increased sustainable production in an eco friendly pollution free environment.
As per the definition of the United States Department of Agriculture (USDA) study team on organic farming “organic farming is a system which avoids or largely excludes the use of synthetic inputs (such as fertilizers, pesticides, hormones, feed additives etc) and to the maximum extent feasible rely upon crop rotations, crop residues, animal manures, off-farm organic waste, mineral grade rock additives and biological system of nutrient mobilization and plant protection”.
FAO suggested that “Organic agriculture is a unique production management system which promotes and enhances agro-ecosystem health, including biodiversity, biological cycles and soil biological activity, and this is accomplished by using on-farm agronomic, biological and mechanical methods in exclusion of all synthetic off-farm inputs”.
जैविक खेती
खेती की वह विधि जिसमे रसायनिक उर्वरको एवं कीटनाशको के बिना या कम प्रयोग से फसलों का उत्पादन किया जाता है, जैविक खेती कहलाती है.इसका अहम उद्देश्य मिट्टी की उर्वरक शक्ति बनाए रखने के साथ साथ फसलों का उत्पादन बढ़ाना है।
जैविक खेती से होने वाले लाभ
- जैविक खेती अपनाने से भूमि की उपजाऊ क्षमता बढ़ती है, साथ ही साथ फसलों के लिए की जाने वाली सिचाई के अंतराल मे भी वृदि होती है ।
- अगर किसान खेती मे रसायनिक खाद का प्रयोग नहीं करता और जैविक खाद का उपयोग करता है, तो उसकी फसल के लिए लगाने वाली लागत भी कम होती है।
- किसान की फसलो का उत्पादन बढ़ता है, जिससे उसे लाभ भी ज्यादा होता है ।
- जैविक खाद के उपयोग से भूमि की गुणवत्ता मे भी सुधार आता है ।
- इस विधी के प्रयोग से भूमि के जलधारण की क्षमता बढ़ती है और पानी के वाष्पीकरण मे भी कम करता है ।
जैविक खेती के तरीके
- फसल विविधता (Crop diversity) जैविक खेती मे फसल विविधता को प्रोत्साहित किया जाता है, जिसके अनुसार एक ही जगह पर कई फसलों का उत्पादन किया जाता है।
- मृदा प्रबंधन (soil management) मृदा प्रबंधन भूमि प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, इसके प्रयोग से हम भूमि की गुणवत्ता बढ़ा सकते है .इसे करने के लिए हमे मिट्टी के प्रकार और मिट्टी की विशेषताओ पर ध्यान देना आवश्यक है।
- खरपतवार प्रबंधन (Weed management) खरपतवार मतलब अनावश्यक वनस्पति जो कि फसलों या पोधों के मध्य मे अपने आप उग आति है और फसलों को मिलने वाले पोषण को स्वयं उपयोग करती है, जिसका निपटारा भी जैविक खेती मे किया जाता है।
रसायनिक खेती से होने वाले हानि
1- मृदा की गुणवत्ता में हृास एवं उर्वरकता में कमी होती है जिसके कारण कृषि उत्पादन में कमी तथा खाद्यान्न संकट में बढ़ोतरी होती है ।
2- मृदा अपरदन से मृदा बंजर भूमि में बदल जाती है ।
3- रासायनिक उर्वरकों एवं जैवनाशी रसायनों के कारण संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन पैदा होता है एवं विषाक्तता से मृत्यु तक हो जाती है। कैंसर, हार्ट अटैक, घुटनों की समस्या आदि ।
न्यू गौ जैविक सुपर शक्ति –
यह एक कार्बनिक सुपर Enriched Fertilizer है|जो मिट्टी के उपजाऊपन और ह्यूमरस को बहुत तेजी से बढाता है |यह एक रसायनिक खाद का उत्तम विकल्प है जहाँ उत्पादकता नहीं घटती है और साथ ही मृदा में कार्बन और नाइट्रोजन अनुपात को बढाता है इस खाद के अन्दर NPK के जरुरी मात्रा के साथ माइक्रो न्यूट्रीएंट्स भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है |यह खाद जैविक खेती में क्रांति ला सकता है ।